– मध्यप्रदेश के 32 हजार स्वास्थ्य कर्मी बीते दो दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं जिससे पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक असर पड़ा है स्वास्थ्य कर्मीयों की मांग है कि सरकार 5 जून 2018 की नीति को लागू कर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित करे और तय 90% वेतनमान दिया जाए साथ ही निष्कासित कर्मचारियों को बहाल किया जाए
एक तरफ स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर हैं तो दूसरी तरफ कोई रास्ता निकालने की जगह सियासत की जा रही है. संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल को कांग्रेस ने समर्थन देते हुए इस परिस्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने कोरोना में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों से काम कराया और बाद में बाहर का रास्ता दिखा दिया. सरकार हर एंगल पर विफल है. इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. कांग्रेस प्रवक्ता ने इस मामले पर कहा कि कांग्रेस पार्टी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ है. कांग्रेस का दावा है कि कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही सब ठीक हो जाएगा.वही सरकार ने बातचीत का दरवाजा खुला होने की बात कही है
स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक असर
स्वास्थ्य कर्मीयों के चलते ही प्रदेश के प्राथमिक , उपस्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन हो रहा है ऐसे में इन कर्मीयों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाओं में खासा असर पड़ने वाला है हमने इसके लिए छोटे गांवों में स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र की पड़ताल की जिसमें मंडला जबलपुर सीमा पर स्थित मनेरी उपस्वास्थ्य केंद्र में हमने पाया कि यहां एक डाक्टर के साथ पांच स्वास्थ्य कर्मी पदस्थ है जाहिर है स्वास्थ्य कर्मी अब हड़ताल पर हैं जिससे यहां सिर्फ एक डाक्टर ही सेवा दे पाएंगे जिले के नौ ब्लाकों में ऐसे उपस्वास्थ्य केंद्रों की भरमार है ज़हां स्वास्थ्य कर्मी ही स्वास्थ्य सेवाओं को संचालित कर है ऐसे में अनिश्चितकालीन हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी असर पडेगा सरकार ने जल्द कोई रास्ता नहीं निकाला तो स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी
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