क्षमा चाहते हैं तकनीकी खराबी के चलते आप ग्रीष्म ऋतु का आंनद नहीं ले पा रहे हैं तेज धूप और लू के थपेड़े से इस बार आप वंचित रहें हैं हमारी पूरी टीम (मौसम विभाग) तकनीकी समस्या के समाधान में लगी हुई है कि आखिर पश्चिमी विक्षोभ बार बार क्यों आ रहे हैं जल्द ही हम इस समस्या को दुरुस्त कर के एक बार फिर तेज गर्मी और लू के थपेडों का अनुभव कराएंगे तब तक संयमित रह कर दो माह पहले आय मानसूनी मौसम का आंनद ले।
मध्यप्रदेश में बारिश की संभावना
मार्च और अप्रैल माह में मौसम में बदलाव देखने को मिला है जिसका असर जनजीवन पर पड़ा है जिस माह में गर्म लू से लोग परेशान रहते हैं उस समय ठंडी हवाएं चल रही है सोसल मीडिया में लोग मौसम को लेकर मजेदार चुटकुले और मेसेज पोस्ट कर रहे हैं आमतौर पर होली निकलने के बाद से ही गर्म दिनों की शुरुआत हो जाती थी पर इस बार मध्यप्रदेश के अधिकतम जिलों में ओलावृष्टि और बारिश का दौर लगातार जारी है मार्च और अप्रैल माह इसी तरह से निकला है मौसम विभाग आठ मई तक बारिश की संभावना जता रहा है। कुछ दिन गर्मी पड़ने के बाद फिर बारिश शुरू हो सकती है बार बार पश्चिमी विक्षोभ निर्मित होना बारिश का कारण माना जा रहा है।
क्लाइमेट चेंज का दिखने लगा असर
भले ही लोग अप्रैल,भी में गर्मी कम पड़ने से खुश हों। सोसल मीडिया में मजेदार पोस्ट चल रहे हों पर हकीकत डराने वाले हैं अप्रेल खत्म हो चुका है मई की शुरुआत में भी बारिश जारी है अमूमन इस समय तापमान 42 के ऊपर होता था इस बार ऐसा नही हो रहा है ठंडी हवाए चल रही है लोगों को कूलर एसी की जरूरत नही है इको एंड एनर्जी टाक चलाने वाले एनडीटीवी के पूर्व पत्रकार हिर्देश जोशी की रिपोर्ट बताती है कि ऐसे मौसम में खुश होने की जगह घबराना चाहिए क्योकि यह सब क्लामेट चेंज की वजह से हो रहा है आने वाले समय में ठ़ड के मौसम में गर्मी का अहसास हो तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए हो सकता है कुछ दिनों बाद भीषण गर्मी पड़ने लगे वर्षा कम होगी जिसके लिए कोई तैयार नही है हद से ज्यादा कर्बन उत्सर्जन से एसी परिस्थिती निर्मित हो रही है हिर्देश कहते है कि आइबीसीसी (इन्टर गावरमेंट आफ क्लामेट चेंज) की कई रिपोर्ट पहले ही चेतावनी दे चुकी ही जिसमे सतर्क रहने और कार्बन को नियत्रित करने की जरूरत है सवाल यह है कि अगर मौसम मे उथल पुथल जारी रहती है तो क्या होगा सबसे बडा भूचाल खाद्य संकट मतलब अनाज के उत्पादन में आएगा जो संपूर्ण मानव जातिय के लिए संकट बन सकता है। यह वक्त वैज्ञानिको के लिए मुश्किल वक्त है कि वो किसानो के लिए क्या सुझाव दे कि आखिर कब कौन सी फसल लगाए गेंहू की फसल बर्बाद हो चुकी है आने वाले वक्त में धान की फसल मे संकट मडरा रहा है
फसल और किसान
महानगरों और शहरों के लोग बारिश से खुश होंगे क्योंकि गर्मी से राहत है पर किसान बेहद चिंतित हैं रूक रूक कर बारिश के चलते बहुत सारे किसानों की गेंहू गहाई का कार्य शेष है उन्हें यह भी चिंता है कि गर्मी नहीं पड़ी तो मानसून बेहद कमजोर रह सकता है ऐसे में धान की फसल भी प्रभावित होनी तय है। बेमौसम बारिश ने ज़हां गेंहू फसल को चौपट किया है तो दूसरी तरफ सब्जीयों की फसल भी बर्बाद हुई है ऐसा ही दौर चलता रहा तो सब्जियां जिनकी कीमत अभी कम है तेजी से इजाफा होगा लोगों में चर्चा यह भी है कि जलवायु परिवर्तन के चलते क्या खेती के परंपरागत तरीके और फसलों के समय बदलने का वक्त आ गया है आशंका व्यक्त की जा रही है कि मौसम में जो उथल पुथल मची है वह व्यापक असर न दिखा दे और अगर ऐसा हुआ तो क्या लोग तैयार है
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Aditya Kinkar Pandey is a Since completing his formal education in journalism in 2008, he has built for delivering in-depth and accurate news coverage. With a passion for uncovering the truth, Aditya has become bring clarity and insight to complex stories. work continues to investigative journalism.