शिवाजी के जन्मतिथि पर विवाद क्यों? दो बार जयंती मनाई जाती है
ए आई ने वीर शिवाजी की ऐसी बनाई फोटो
ढक्कन राज्यों को हिंदू साम्राज्य में स्थापित करने वाले वीर शिवाजी की जयंती 19 फरवरी को मनाई जाएगी शिवाजी भोसले, महाराष्ट्र के एक शूरवीर और राष्ट्रभक्त राजा थे,। उन्होंने मुगल साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष किया और स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की। आखिर वीर शिवाजी की जन्मतिथि पर विवाद क्यों है और शिवाजी की दो अलग-अलग तिथि में जंयती क्यों मनाई जाती है।
शिवाजी के जन्मदिन को लेकर लोगों के अलग अलग विचार है यह तो माना जाता है कि पुणे के पास स्थित शिवनेरी के दुर्ग में जन्म हुआ था वर्ष और तिथी को लेकर अलग अलग दलील दी जाती है वर्ष 2000 में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार के विधानसभा में पास किए प्रस्ताव के अनुसार, शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। अगर इसे पंचांग के हिसाब से देखें, तो शिवाजी का जन्म फागुन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, 1551 शक संवत्सर को हुआ था। उससे पहले शिवाजी की जन्मतिथि वैशाख महीने की द्वितीया तिथि 1549 शक संवत्सर मानी जाती थी। उसके हिसाब से शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल 1627 को हुआ था।
बीबीसी हिंदी के 19 फरवरी 2020 लेख के अनुसार धार के ‘काव्येतिहास संग्रह’ के मुताबिक़, शिवाजी का जन्म 1549 शक संवत में वैशाख के शुक्ल पक्ष की द्वितिया को सोमवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. लेकिन इस दस्तावेज़ में नक्षत्र ग़लत माना जाता है.लोकमान्य गंगाधर तिलक ने सबसे पहले शिवाजी की जन्मतिथि की खोज की शुरुआत की थी अपने अखबार केशरी के एक लेख में स्पष्ट किया है कि शिवाजी की जन्मतिथि को लेकर कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
कैसे हुई शिवाजी जयंती की शुरुआत
ताकतवर मुगल बादशाह औरंगजेब से लोहा लेने वाले वीर शिवाजी ने सिर्फ मुगल सेना के दांत खट्टे किए बल्कि उनसे की क्षेत्र भी जीते शिवाजी ने पहली बार हिंदु साम्राज्य की स्थापना की थी स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने अपने साथियों के शिवाजी की जयंती की शुरुआत की थी उन्होंने 6 अप्रैल 1627 को जन्मतिथि माना था और 6 अप्रैल को जयंती मनाया जाने लगा हालांकि बीते सौ सालों में अलग संगठन और लोगों ने शिवा जी की जन्मतिथि पर पड़ताल की है लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं। यही वजह है कि कुछ स्थानों में 19 फरवरी को और कुछ स्थानों में 6 अप्रैल को जयंती मनाई जाती है।
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