मंडला जिले के तकरीबन एक दर्जन लोगों को एक एनजीओ और पुलिस की संयुक्त टीम ने उत्तर प्रदेश से रेस्क्यू कर घर तक पहुंचाया गया है मजदूर एक माह पहले ब्लास्टिंग के काम के लिए गए हुए थे एक माह गुजर जाने के बाद जब वापस नहीं लौटे तो परिजनों ने पुलिस में शिकायत किया था।
एनजीओ और पुलिस टीम ने सकुशल पहुंचाया घर
पूरा मामला मंडला जिले के निवास थाना क्षेत्र का है यहां के दो गांव सरस्वाही और खम्हारिया से काम के लिए गए मजदूरों को पुलिस ने रेस्क्यू कर वापस घर तक पहुंचाया है निवास थाना से मिली जानकारी के अनुसार एक माह पूर्व कुछ मजदूर जबलपुर में मजदूरी का काम करने गए थे यही से दस के लगभग मजदूरों को महौबा उत्तर प्रदेश ले जाया गया था
ज़हां पर ये मजदूर ब्लास्टिंग का कार्य कर रहे थे एक माह तक काम करने के बाद जब ये मजदूर नहीं लौटे तो मजदूरों के परिजनों ने पुलिस और एक एनजीओ को पूरे मामले की जानकारी दी जिसके बाद संयुक्त टीम महौबा उत्तर प्रदेश पहुंच कर इन मजदूरों का रेस्क्यू किया थाना प्रभारी सुरेश सोलंकी ने बताया कि परिजनों की शिकायत के बाद एक टीम मौके पर पहुंची और वहां पर काम कर रहे मजदूरों से बातचीत करने पर चला कि कंपनी नहीं चाहती थी मजदूर काम छोड़कर वापस लौटे
इसी कारण उनका पूरा भुगतान नहीं किया था जबकि ब्लास्टिंग कंपनी का कहना था कि कार्य 15 दिवस से अधिक का बचा था 15 दिवस के बाद पूरा भुगतान कर दिया जाता एनजीओ और पुलिस की टीम ने कंपनी से बातचीत कर मजदूरों को पूरा भुगतान करना कर वापिस ले आई है।
मंडला जिले के कई गांवों के मजदूरों को मध्यप्रदेश के बाहर बंधुआ मजदूर बनाकर महीनों काम करवाने का मामला दर्जनों बार सामने आ चार है इस मामले में भी यही बात लग रही है वहीं निवास थाना प्रभारी ने बंधुआ मजदूरी के मामला होने से साफ इंकार करते हुए कहा कि लगता नहीं है कि यह बंधुआ मजदूरी का मामला है ब्लास्टिंग कंपनी कुछ भुगतान रोकी थी मजदूरों के अभाव के चलते ही पंद्रह दिवस और काम कराना चाहती थी मजदूरों ने भी कंपनी के खिलाफ ऐसा कोई बयान नहीं दर्ज कराया है।
Aditya Kinkar Pandey is a Since completing his formal education in journalism in 2008, he has built for delivering in-depth and accurate news coverage. With a passion for uncovering the truth, Aditya has become bring clarity and insight to complex stories. work continues to investigative journalism.