स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व के रूप में हर साल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होश संभालने के बाद दोनों ही राष्ट्रीय पर्व में स्कूलों में तिरंगा फहराते देखते आ रहे हैं। फिर भी हम में से बहुतों को ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने में अंतर नहीं पता है।
ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने में क्या अंतर है
आजादी के 77 साल से ज्यादा समय बीत चुका है हम आजादी का जश्न भी मनाते हैं और देश के संविधान को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं फिर भी हम 26 जनवरी और स्वतंत्रता दिवस के दिन फहराए जाने वाले तरीके से वाकिफ नहीं है। आमतौर पर दोनों राष्ट्रीय पर्व में झंडा फहराने को एक ही तरीका और एक ही नज़र से देखते हैं। लेकिन दोनों में अंतर है।
झंडा फहराने में बेहद बारीक लेकिन महत्वपूर्ण अंतर होता है अरोहण का मतलब होता है चीज को नीचे से ऊपर ले जाना स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगे को नीचे से ऊपर ले जाकर रस्सी के सहारे खोल कर फहराया जाता है इसे झंडा रोहण flag hosting कहते हैं। जबकि गणतंत्र दिवस को तिंरगे को ऊपर बांध कर रखा जाता है और नीचे से खोल कर फहराया जाता है इसे ध्वजा फहराना flag unfurling कहते हैं।
हम सबको पता है कि भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। दरअसल आधी रात जिसे जीरो आवर कहते हैं यूनियन जैक को ऊपर से नीचे उतारा गया और भारतीय तिरंगे को नीचे से ऊपर चढ़ाते हुए फहराया गया जिसे ध्वजारोहण कहा गया।
हम में से कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि 26 जनवरी को ही संविधान लागू क्यों हुआ दरअसल लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित किया था कि 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता ली जाएगी लेकिन परिस्थितियां बदलीं और भारत 15 अगस्त को स्वतंत्र हो गया। प्रस्ताव की तारीख इतिहासिक थी इसलिए जब संविधान का निर्माण हो गया तो 26 जनवरी को संविधान लागू कर दिया गया भारत के पास अपना संविधान और उसकी पहचान के रूप में अपना एक झंडा था जाहिर है उसे उतार कर फिर रोहण नहीं किया जा सकता इसलिए तिंरगे को ऊपर बांधकर पुष्प बारिश के साथ लहराया गया।
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