आत्मयोजना से जिले के किसानों को रागी बीज के महत्व और खेती की जानकारी दी जा रही // को ग्राम बेजेगाओं बिकास खण्ड नारायणगंज के कृषक श्री कृपाल सिंह मार्को ने रागी (माड़िया दाना) के खेती कैसे करे समझा अपने खेत मे 1 kg रागी के बीज की नर्सरी डाली है पहली बार जिले में प्रदर्शन के रूप में अपना रहे किसान भाई परियोजना संचालक आत्मा किसान कल्याण तथा कृषि विभाग श्री आर डी जाटव के मार्गदर्शन में विकास खंड तकनीकी प्रबंधक श्री मोहित गोल्हानी द्वारा किसानों कोप्राकृतिक विधि द्वारा रागी उत्पादन तकनीक के बारे में बताया जा रहा रागी यानी मंडिया दाना अंग्रेजी में फिंगर मिलेट कहते है की खेती का मोटे अनाजों की खेती में विशेष स्थान है । रागी के लिए उपयुक्त मिट्टी -यह सभी प्रकार की भूमि में हो जाती है परन्तु कार्बनिक पदार्थों से भर पुर बलुई दोमट मिट्टी को बढ़िया माना गया है उचित जल निकास वाली काली मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है इसकी भूमि के लिए पीएच मान 5.5से 8 के मध्य होना चाहिए खेत की तैयारी- रागी की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करे मिट्टी को भुर भूरी बनाकर विजाई के लिए समतल करे ले। किस्म VL -352 एवम VL -MANDWA 379 किसानों की दी जा रही ।बीज दर – 4 किलो /एकड़ लगता
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