मंडला में नगर पालिका में मौजूद जिम्मेदारों को क्या सूझी की वे यंहा स्थित एक पार्क को शराब बाटलों से सजा दिए। जब पत्रकारों ने सवाल दागे तो नुमाइश में लटके इन शराब की बाटलों को आनन-फानन में हटा भी लिया गया।
नर्मदा जयंती के पहले लगे शराब बाटलों से सजा पार्क
एक पखवाड़ा पहले ही मप्र की मोहन सरकार ने धार्मिक नगरों की घोषणा की और इन नगरों में शराब को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया। इससे पहले शिवराज सरकार ने नर्मदा किनारे बसे शहरों में शराब को प्रतिबंधित किया था। मंडला जिला मुख्यालय इन दोनों ही घोषणा में शामिल हैं। उसके बावजूद नर्मदा किनारे स्थित पार्क को सुंदर बनाने के लिए शराब की खाली बाटलों का इस्तेमाल कर सजावट कर दी गई। पार्क में मौजूद लोगों का कहना है कि बाटलों का इस्तेमाल करना ही था तो दूसरी वस्तु की खाली बाटलों का इस्तेमाल कर लेते ऐसी परिकल्पना करने वाले जिम्मेदारों को पद्मभूषण मिलना चाहिए। आखिर क्या सोच कर नेहरू पार्क को शराब की बाटलों से सजाया गया वो भी नर्मदा जयंती के पहले
अधिवक्ता रजनीश उसराठे का कहना है कि इस पार्क में बचपन से आ रहा हूं कभी ऐसा नहीं देखा है नर्मदा जयंती के पहले नगर पालिका नर्मदा किनारे शराब की बाटलों को लटका कर पार्क को कैफे बना दिया है। यह सब दिखा रहा है कि शराब का एडवरटाइजिंग किया जा रहा है। इस मामले में जब पत्रकारों ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी गजानन नाफड़े से बात की तो उनका कहना था की हमने 24 बार्ड से कचरा में मिले बाटलों का इस्तेमाल किया है आपके माध्यम से जानकारी लगी है कि शराब की खाली बटलो से साज सज्जा की है। पत्रकारों के व्दारा मामला उठाने के कुछ देर बाद नगर पालिका के कर्मचारी तीन दिनों से लटके बाटलों को हटाने में जुट गई।
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