भारत की प्रमुख नदियों में से एक नर्मदा नदी का जन्मोत्सव है इस नदी में गहरी आस्था रखने वाले नर्मदा जयंती भी कहते हैं। अन्य नदियों के इतर उल्टी दिशा में बहने वाली दो नदियों में से एक नदी है जिसके प्रति लोगों में इतनी आस्था है कि वो इस नदी का प्ररिक्रमा भी लगाते हैं।
विकिपीडिया के अनुसार अमरकंटक से निकली नर्मदा जिसको रेवा,नर्बदा और अंग्रेजी में नेरबुड्डा के नाम से भी जाना जाता है। अपने 1312 किमी के सफर में दो राज्यों मध्यप्रदेश और गुजरात के साथ साथ महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र के लोगों के लिए जीवनदायिनी है यही वजह है कि नर्मदा किनारे बसे लोग इसे मां मानते हुए इसकी नर्मदा जयंती पर विशेष पूजा अर्चना करते हैं। भक्तजन नर्मदा नदी के किनारे एकत्रित होकर स्नान करते हैं और इस दिन विशेष रूप से नदी में तर्पण और अर्चन करते हैं। नर्मदा के किनारे बसे शहरों में यह पर्व अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। जगह जगह भण्डारे का आयोजन किया जाता है।
नर्मदा जयंती पर विविध कार्यक्रम होते हैं
एक तरफ गंगा नदी में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है तो दूसरी तरफ पवित्र नदी नर्मदा में विविध आयोजन किए जाएंगे। गांवों में बड़े बुजुर्गो अखसर यह कहते मिलते हैं कि मां गंगा पर स्नान कर पाप धुलते हैं परंतु मां नर्मदा के दर्शन करने से पुण्य मिलता है। नर्मदा जयंती पर व्यक्तिगत और समाजिक संगठनों व्दारा अलग अलग नर्मदा घाटों में चुनरी चढ़ाए जाते हैं। चुनरी चढ़ाने के लिए आमतौर पर साड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें सीढ़ियों को क्रमानुसार जोड़ते चले जाते हैं जब तक चुनरी नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे को पार न कर जाए। शाम को अलग-अलग स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
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समय रहते नर्मदा का संरक्षण जरूरी
बेशक लोग श्रद्धा के साथ नर्मदा नदी को मां का दर्जा देते हैं फिर भी इस नदी को संकट का सामना करना पड़ रहा है। तमाम बड़े शहर ज़हां भक्ति भाव से नर्मदाप्रगटोत्सव मनाया जाता है उसी शहर के तमाम गंदे नालों का पानी इस पवित्र नदी में मिल रहे बढ़ती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन नर्मदा का जलस्तर घटता जा रहा है। इसके संरक्षण के लिए कई योजनाएँ और प्रयास किए जा रहे हैं। जगह जगह घाटों के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं और उसी घाट के बगल या आसपास में नाला का गंदा पानी नदी में समाहित हो रहा है नर्मदा जयंती पर आम लोगों से लेकर सरकार तक इस पवित्र नदी के संरक्षण और इसको दूषित होने से बचाने के लिए प्रभावी उठाने का संकल्प भी ले।
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