भारतीय मौसम विभाग ने मानसून आगमन का पुर्वानुमान जारी कर दिया है इस बार मानसून देर से आ सकता है imd की मानें तो अमूमन 29 मई तक मानसून केरल पहुंच जाता है लेकिन इस बार चार से पांच दिन देरी से पहुंचेगा मौसम विभाग ने मानसून चार जून तक केरल पहुंचने की उम्मीद जताई है।
मध्यप्रदेश में देर से पहुंचेगा मानसून ?
भारतीय मौसम विभाग ने पहले ही बता दिया है कि मानसून इस बार केरल में देरी से पहुंच रहा है जाहिर है इसका असर मध्यप्रदेश में भी पड़ने वाला है आमतौर पर प्रदेश में 16 जून से 20 जून तक मानसून की दस्तक हो जाती है इस बार पश्चिमी विक्षोभ के कारण लगातार मार्च और अप्रैल में बारिश होती रही है कई जिलों में तो दो दशक का रिकॉर्ड टूटा है। गर्मी वैसे नहीं पड़ी है जैसे कि पिछले सालों में पड़ती थी जिसका असर भी पड़ना है
प्रदेश में अप्रेल के दूसरे पखवाड़े में लू चलना शुरू हो जाती थी लेकिन इस बार बारिश हुई है हालांकि मई माह में तापमान 40 के ऊपर ही बना रहा है।30 मई तक के अपडेट सामने आ चुके हैं जिसमें मानसून केरल में चार से सात जून तक पहुंचेगा। इस हिसाब से सब कुछ ठीक रहा तो प्रदेश में 20 जून के बाद मानसून दस्तक देगा। नीचे फोटो से समझे कब कहां मानसून दस्तक दे सकता है
मानसून रूट भारत के विभिन्न भागों में विभाजित होते हैं और अलग-अलग समय पर बारिश का कारण बनते हैं। इन मानसून रूटों के द्वारा आने वाली बारिश भारतीय कृषि और जलवायु के लिए महत्वपूर्ण होती है, लेकिन वे भारी वर्षा, बाढ़, और जलप्रलय का भी कारण बन सकते हैं।उत्तर-पश्चिम मानसून और दक्षिण-पश्चिम मानसून के मार्गों को संकेतित करता है। यह मानसून तंत्र के आधार पर घटता है, जिसमें गर्म और नम वायु दक्षिणी हेमिस्फेयर से आती है और उत्तरी हेमिस्फेयर में ठंडी और सूखी वायु के साथ मिश्रित होती है। इस प्रक्रिया के दौरान, मानसून वायु भारतीय महासागर के ऊपर समुद्री जल में आती है और यहां से यात्रा करती हुई भारतीय उपमहाद्वीप में चढ़ती है।
उत्तरी और दक्षिणी मानसून रूट
उत्तर-पश्चिम मानसून:
उत्तर-पश्चिम मानसून भारतीय महासागर से आती है और भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर चढ़ती है। यह मानसून जून महीने में केरला के दक्षिणी तट से प्रारंभ होता है और समय के साथ उत्तर की ओर बढ़ता है। यह उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप को जुलाई से सितंबर तक आवृत्ति करता है। इस मानसून के दौरान भारत में वर्षा का समय होता है और यह व्यापक वर्षा, बाढ़, तूफान और ठंडी के साथ आ सकता है।यह मानसून रूट बंगाल की खाड़ी से आता है। जो बंगाल, झारखंड, बिहार, ओड़ीशा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात तक फैलता है। इस आवृत्ति में वर्षा, बाढ़, चक्रवात तथा गाड़ीव बादलों की प्रमुख विशेषताएं होती हैं।
दक्षिण-पश्चिम मानसून:
दक्षिण-पश्चिम मानसून अरब सागर से आती है और पश्चिमी घाटों के मार्ग से भारतीय उपमहाद्वीप में चढ़ती है। इस मानसून के दौरान दक्षिण भारत में वर्षा का समय होता है और यहां भी व्यापक वर्षा होती है, जो केरला और कर्नाटक के तटों से लेकर तमिलनाडु और पश्चिमी घाट श्रेणी तक फैल सकती है।केरला के तटों पर मई के अंत या जून के पहले सप्ताह में पहुंचता है। यह रूट पश्चिमी घाटी, मुंबई, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब तक फैलता है। इसके दौरान यह वर्षा के साथ-साथ उच्च आपातकालीन तटीय विद्युत प्रवाह (सामुद्रिक वायुमंडल) और तेज तूफानों को लाता है।
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