आज दो अद्वितीय और महत्वपूर्ण त्योहार महाशिवरात्रि और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक ही दिन मनाया जा रहा है। एक है नारी, एक है अर्धनारीश्वर एक जननी श्रृजन करता और दूसरा संघारक जगत पिता जिन्होंने दुनिया को बताया कि प्रकृति और नारी का सम्मान ही नए सोपान को गढ़ता है। दूसरी तरफ नारी जों लंबे संघर्ष से निकल कर आज विकास के नए पथ पर निकल चली है। आज दोनों को मनाया जा रहा है।
कब से मनाया जा रहा है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का शुभारंभ 8 मार्च 1911 को हुआ था। इस दिन को समर्पित किया गया था उन महिलाओं को याद करते हुए जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए संघर्ष किया। तब से महिलाओं का सम्मान, समानता, और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।आज भारत में महिला सशक्तिकरण की जो बयार चल रही है दरअसल उसके पीछे उन्ही महिलाओं का हाथ हैं जिन्होंने संघर्ष कर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया।
Womens day : संविधान सभा में महिलाओ का योगदान
भारत में महिलाओं का कपड़े पहनने से लेकर शिक्षा पाने तक का संघर्ष किसी से छिपा नहीं है यह संघर्ष लगातार जारी हैं भारत के संविधान सभा में 15 महिलाएं थीं जिनकी जुझारूपन के चलते संविधान में महिलाओं को हक मिला
रानी लक्ष्मी बाई | 1857 क्रांति में ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी शौर्य और साहस का प्रदर्शन किया। |
ज्योतिबा फुले | महिला शिक्षा में विशेष जोर देने वाली भारत की पहली महिला शिक्षक जिन्होंने विधवा, विवाहित महिलाओं और अनुसूचित जाति की लड़कियों के लिए शिक्षा की संभावनाओं का संचालन किया। |
फातिमा शेख | 09 जनवरी 1831 को फातिमा शेख का जन्म महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. फातिमा शेख को पहली मुस्लिम महिला टीचर के रूप में जाना जाता है. जब सावित्रीबाई फुले अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ लड़कियों के लिए स्कूल खोलनी की योजना बना रही थीं. तभी उनका साथ देने फातिमा शेख और उनके भाई उस्मान शेख सामने आते हैं, और फिर शुरू होता है लड़कियों की पढ़ाई का सिलसिला. |
दक्षिणायनी वेलायुधन | संविधान सभा में मौजूद महिलाएं संविधान सभा की इकलौती दलित महिला सदस्य थी संविधान सभा की सबसे युवा सदस्य भी थी |
सरोजिनी नायडू | भारत का संविधान बनाने वाली सभा का भी हिस्सा रह चुकी है भारत में महिलाओं का मताधिकार दिलाने में उनका बड़ा योगदान है।भारत की पहली महिला राज्यपाल के रूप में जाना जाता है |
बेगम क़दसिया ऐज़ाज़ रसूल | संविधान सभा की इकलौती मुस्लिम महिला थी। वे अल्पसंख्यक अधिकारों की ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य थी। उन्होंने धर्म आधारित आरक्षण के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था। वे अल्पसंख्यकों के लिए न्याय और समान अधिकार चाहती थी। उनका मानना था कि हिंदी को ही भारत की राष्ट्रीय भाषा माना जाना चाहिए। |
दुर्गाबाई देशमुख | एक वकील थी संविधान सभा में उन्होंने हिंदू कोड बिल के अंतर्गत, महिलाओं का संपत्ति में समान अधिकार का पक्ष रखा था |
हंसा जीवराज मेहता | महिलाओं को तलाक लेने का अधिकार मिलने पर बल दिया था। इसके अलावा उन्होंने देश में महिलाओं को समान अधिकार देने का विषय भी उठाया था |
पूर्णिमा बनर्जी | भारत की आजादी लड़ाई में सक्रियता से भाग लेने वाली महिला रही हैं संविधान की प्रस्तावना तथा राज्यसभा के सदस्यों की योग्यता के बारे में हुई बहस में अहम भूमिका निभाई थी |
राजकुमारी अमृत कौर | समान नागरिक संहिता बनाने के पक्ष में थी। वे 1947 में स्वतंत्र भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री भी थी |
विजयलक्ष्मी पंडित | पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन थी महिला आरक्षण, आरक्षण, अल्पसंख्यकों के अधिकार और स्कूली शिक्षा जैसे विषयों पर अपनी बात कही थी |
सुचेता कृपलानी | भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज प्रस्तुत करने वाली कमेटी का हिस्सा थी भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है |
कमला चौधरी | भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के साथ-साथ, पिछड़े इलाकों की महिलाओं की शिक्षा के लिए भी कार्य किये थे। उनके योगदान को देखते हुए, कमला चौधरी को संविधान सभा में स्थान दिया गया था |
लीला रॉय | उन्हें बंगाल से संविधान सभा के लिए चुना गया था। लीला रॉय भारत के विभाजन के सख्त विरोध में थी। इसलिए उन्होंने कुछ समय बाद संविधान सभा से इस्तीफा दे दिया था |
मालती देवी | जमीनी स्तर पर बच्चों, आदिवासियों और किसानों के साथ काम करते रहना |
अम्मू स्वामीनाथन | संविधान सभा में रहते हुए, स्वामीनाथन ने मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक सिद्धांतों पर चर्चा |
रेणुका रे | महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की पक्षधर रही है। आजादी के पहले उन्होंने महिला श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए भी कार्य किया 1949 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था |
एनी मास्कारेन | संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में शामिल थी। मास्कारेन ने संविधान सभा में मुख्य रूप से संघवाद के विषय पर हुई चर्चा में भाग लिया था। |
इस वर्ष, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर देश में विशेष कार्यक्रम और आयोजन हो रहे हैं। महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक सशक्तिकरण पर ध्यान दिया जा रहा है।
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