तुलसी ,आंगन से खेतों तक फायदे का धंधा

मंडला जिले के कई क्षेत्र में पानी की समस्या के चलते ज़मीन का बड़ा हिस्सा बंजर बन गया है ज़हां पर कोई भी फसल की पैदावार नहीं है ऐसे क्षेत्र में तुलसी की फसल फायदेमंद बन सकती है थोड़ी सी मेहनत और लगन से कम लागत में बड़ा लाभ मिल सकता है तुलसी ,आंगन से खेतों तक फायदे का धंधा हैं

तुलसी के पौधे की दुनिया भर में सौ से अधिक प्रजातियां हैं भारत में ज़हां इसे एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है उसके साथ साथ धार्मिक मान्यताओं में भी इसका स्थान है शायद ही ऐसा घर हो ज़हां पर घर के आंगन में यह लगा न हो परंपरिक खेती से लोग अलग गैरपरंपरागत खेती में जा रहे हैं और इसके लिए तुलसी से अच्छा कुछ हो नहीं सकता जो विभिन्न रोगों के इलाज में मदद करती है।

इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं।ऐसे में तुलसी की खेती फायदे का काम बन सकता है खास कर उन क्षेत्रों में ज़हां पर पानी की कमी है। बाजार में इसकी पत्तियां बेहद मंहगे दामों में बिकती है।

तुलसी की खेती कैसे करें

कहते हैं कि तुलसी का पौधा जिस घर में होता है वहां के लिए शुभ होता है लेकिन अगर हम यह कहें कि घर के आंगन से निकल कर खेतों में पहुंच जाए तो किस्मत बदल सकती है बाजार में इसकी पत्तियां बेहद मंहगे दामों में बिकती है। मंडला जिले के कई क्षेत्र में पानी की समस्या के चलते ज़मीन का बड़ा हिस्सा बंजर बन गया है ज़हां पर कोई भी फसल की पैदावार नहीं है ऐसे क्षेत्र में तुलसी की फसल फायदेमंद बन सकती है थोड़ी सी मेहनत और लगन से कम लागत में बड़ा लाभ मिल सकता है एक एकड़ के खेत में पांच सौ से छः सौ ग्राम बीज लगता है

इस फसल की खासियत यह है कि इसे वर्ष में तीन बार लिया जाता है दूसरे फसल में पानी से लेकर खाद्य और सुरक्षा करनी पड़ती है जबकि तुलसी की खेती में जानवरों का भय नहीं रहता है कि वह फसल को चौपट कर देंगे ।तुलसी की खेती कम खर्च पर व्यवसायिक रूप से किया जा सकता है। इसके लिए कम सामग्री और कम निवेश की आवश्यकता होती है आमतौर पर इसकी फसल 50 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है पत्तों को काट कर सुखा लिया जाता है उसके बाद इसको बेचा जाता है।

तुलसी की सीधी बुवाई नहीं की जाती है क्यारी बनाकर इसके बीज को डाल दिया जाता है पंद्रह से बीस दिनों में पौधे आ जाते हैं उसके बाद कतार के साथ गड्डे खोदकर उसमें लगाया जाता है दो पौधों के बीच कम से कम बीस इंच का फासला होना चाहिए आदर्श तापमान 28-38 डिग्री सेल्सियस होता है। आप बीजों को एक थैले में भरकर अवसाद वाली जमीन में डाल सकते हैं।
बीजों को लगभग 1 इंच गहराई में धाने से थोड़ा गहरा खोदें। तुलसी की उगाई के लिए जमीन का pH स्तर 6.5 से 7.5 होना चाहिए। तुलसी की खेती के लिए खेती की जमीन में अधिकतम उपजाऊ तत्व होने चाहिए जैसे कि नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम। आप खेती की जमीन को उपजाऊ तत्वों से भरने के लिए कंपोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर सकते हैं।

कम लागत मोटा मुनाफा

एक एकड़ जमीन पर छः सौ ग्राम बीज लगती है खाद्य के रूप में गोबर और अन्य खाद्य मामूली रूप से लगती है एक एकड़ में पांच से छः हजार का खर्च होता है जबकि पैदावार गिरी से गिरी हालत में चार कि्वटल तक हो सकता है बाजार में देशी और विदेशी कंपनियां इन पत्तियों को खरीदती है वेद्दनाथ डावर पतांजलि डावर जैसी दवाएं बनाने वाली कंपनियों के साथ चाय बनाने वाली कंपनियां भी तुलसी पत्ती खरीदती है बाजार में 6 से 7 हजार रुपए क्विंटल तक की कीमत में बेचा जा सकता है अगर एक एकड़ में पांच क्विंटल का भी उत्पादन हुआ तो 30 से 35 हजार बड़े आराम से मिल सकते हैं।

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