एक दौर था होली आई रे कन्हाई रंग बरसे गीत के साथ ही एक सप्ताह पहले होली की तैयारी में लोग लग जाते थे छुटिटयों में परिजनों के साथ रिस्तेदारो के पास जाकर एक साथ होली मनाई जाती थी लोग वर्ष में एक बार भंग का सेवन भी करते थे एक दूसरे से मजाक ठिठोली के साथ प्राकृतिक रंग से होली खेला जाता था
जैसे जैसे परिवेश बदला वैसे वैसे होली मनाने का तरीका भी बदल गया है ठोलक और मंजीरों की जगह कान फोड़ डीजे और उसमें धमक के अलावा कुछ भी समझ न आने वाली गीत , प्राकृतिक रंग की जगह ज्यादा समय तक बदन में छपने वाले सिंथेटिक रंग और भंग की जगह शराब ने जगह बना ली है हालांकि बरसाना काशी उज्जैन जैसी धार्मिक जगह ही बची है ज़हां पारंपरिक होली खेली जाती है अब होली का मतलब शराब और डीजे में थिरकना बचा है लोगों में शराब का नशा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि उससे हो रही घटनाओं को लेकर चिंतित प्रशासन ही शराब दुकान बंद करवाने लगा है ताकि घटनाओं को रोका जा सके क्या बाकी हम अच्छे से त्यौहार मनाते हैं
कुछ साल पहले तक पलास के फूलों से रंग बनाने का काम गांवों में एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाता था जो आज पूरी तरह से खत्म हो गया है आदिवासी जिला मंडला के हर एक क्षेत्र में पलास की भरमार है यहां पर न सिर्फ होली बल्कि चित्रकारी के लिए भी पलास के फूलों से रंग का इस्तेमाल किया जाता रहा है निवास तहसील में पड़ने वाली सकरी घाटी के पहले फरवरी के आखरी सप्ताह में पलास के फूल के आते ही शानदार नजारे देखने को मिलते हैं
चार से पांच साल पहले तक यहां के कई गांवों में पलास के फूलों से रंग बनाया जाता हालांकि अब इक्का दुक्का लोग ही बड़े चाव से होली के लिए पलास के फूलों से रंग बनाते हैं भीकमपुर के रहने वाले प्रकाश रजक बताते हैं कि वो बीते तीन चार साल से बाजार से सिंथेटिक रंग नहीं लेते हैं बल्कि घर में ही पलास के फूलों से रंग बनाते हैं थोडी सी मेहनत लगती है वो भी फूलों को एकत्रित करने के लिए आधे घण्टे में ही कलर तैयार हो जाता है फूलों को पानी से आधा घंटे उबाल कर ठंडा कर दिजिए शानदार रंग तैयार हो जाता है बच्चों को हानी भी नहीं पहुंचाता है
Aditya Kinkar Pandey is a Since completing his formal education in journalism in 2008, he has built for delivering in-depth and accurate news coverage. With a passion for uncovering the truth, Aditya has become bring clarity and insight to complex stories. work continues to investigative journalism.