डफली और क्यूआर कोड

किशन वंहा उसका क्यूआर कोड और साथ में डफली की शानदार धुन बजाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है किशन लोगो के घरों में होने वाले समारोह से लेकर लोगों की दुकान दुकान जाकर डफली बजाता है डिजिटल ज़माने नें सब की तकदीर बदल कर रख दी, कुछ साल पहले की बात है समान खरीदी से लेकर शादी समारोह में दिए जाने वाले निछावर तक पहली चिंता चिल्लर कराने की रहती थी बदलते समय के साथ डिजिटली करण बढा और लोगों को समस्या से निजात मिलती गई अब चिल्लर ना होने के टोटे को क्यूआर कोड ने खत्म कर दिया है आइए मिलाते एक ऐसेकिशन और क्यूआर कोड वाले से जिसने शानदार स्कीम अपनाई,.
दरअसल पूरी कहानी है. मध्यप्रदेश के झिरनिया निवासी किशन पिता राम राठौड़,की जोअब उसे कोई चिल्लर का बहाना नही बना पाता है बढ़ते तकनीक ने इस गरीब को एक नया रास्ता दिखा दिया है ज़हां ज़हां किशन वंहा उसका क्यूआर कोड और साथ में डफली की शानदार धुन बजाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है किशन लोगो के घरों में होने वाले समारोह से लेकर लोगों की दुकान दुकान जाकर डफली बजाता है आए दिन उसे चिल्लर की कमी का हवाला देकर लोग चलता कर देते थे तभी उसको क्यूआर कोड की जानकारी लगी चूंकि वह रोजाना घूमता और देखता कि हर दुकान मे क्यूआर कोर्ड चिपके नजर आते. फिर क्या था किशन को एक रास्ता मिल गया था अब उसे कोई चिल्लर का बहाना नही बना पाता है बढ़ते तकनीक ने इस गरीब को एक नया रास्ता दिखा दिया है ज़हां ज़हां किशन वंहा उसका क्यूआर कोड और साथ में डफली की शानदार धुन के कायल सभी लोग हैं हाल में ही उसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सभा के लिए भी बुलाया गया था

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