बुधवार को मंडला कलेक्टर ने नरवाई जलाने वालों पर अर्थदण्ड लगाने का आदेश जारी कर दिया है । आदेश में बताया गया है कि खेत के रकबे में जलाए गए नरवाई के अनुसार अर्थदंड लगाया जाएगा किसान फसल को काटने के बाद इसके अवशेषों नरवाई को जलाते हैं जिसके कारण क्षेत्र में प्रदूषण के साथ साथ जमीन में भी असर पड़ता है भारत सरकार द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से नरवाई जलाने की घटना पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। पर्यावरण विभाग के नोटिफिकेशन द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं जिसके अन्तर्गत नरवाई जलाने की घटनाओं पर अर्थदण्ड अधिरोपित करने का प्रावधान किया गया है।
नरवाई जलाने से खेतों को नुक़सान
जिले में रबी फसल के अन्तर्गत बोई जाने वाली फसलों की कटाई के पश्चात किसानों के द्वारा नरवाई (फसलों के अवशेषों) जला दी जाती है जिसके कारण भूमि में उपलब्ध जैव विविधिता समाप्त हो जाती है। नरवाई जलाने से मिट्टी में मौजूद महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरकता घटती है। इसके साथ साथ मिट्टी का उपरी हिस्सा जलने से उसकी संरचना कमजोर हो जाती है, जिससे मिट्टी का कटाव और क्षरण बढ़ सकता है।खेतों में रहने वाले छोटे जीव और सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं, जिनका खेती के लिए उपयोगी भूमिका होती है। नरवाई जलाने से क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषित तेजी बढ़ता है।
भारत सरकार द्वारा खेतों में फसल अवशेष नरवाई जलाने की घटनाओं की मॉनिटरिंग सेटेलाईट के माध्यम से की जा रही है। प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाएं मुख्यतः गेहूँ की फसल कटाई के बाद होती है जो लगातार बढ़ती जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फसलों की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाए जाने से प्रतिबंधित किया है। पर्यावरण विभाग के नोटिफिकेशन द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं जिसके अन्तर्गत नरवाई जलाने की घटनाओं पर अर्थदण्ड अधिरोपित करने का प्रावधान किया गया है जिसमें 2 एकड़ से कम पर 2500 प्रति घटना पर दो से पांच एकड़ तक 5 हजार प्रति घटना पर एवं 5 एकड़ से अधिक पर 15 हजार प्रति घटना पर अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है।
नरवाई जलाने के अपेक्षा ये उपाय अपनाएं
नरवाई का बायो-डिग्रेडेशन: नरवाई को खेत में ही बिखेर कर उसे जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इससे मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ती है और उसका स्वास्थ्य बेहतर होता है।
कृषि यंत्रों का उपयोग: “नरवई चिपकाने वाले यंत्र” (टाइडीयर या हैप्पी सीडर) का उपयोग करके नरवई को जमीन में दबाया जा सकता है, जिससे न केवल जलने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि मिट्टी का निर्माण भी बढ़ता है।
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Aditya Kinkar Pandey is a Since completing his formal education in journalism in 2008, he has built for delivering in-depth and accurate news coverage. With a passion for uncovering the truth, Aditya has become bring clarity and insight to complex stories. work continues to investigative journalism.