हिंदू वैदिक पूजा पद्धति में बेल पत्र (बेल के पत्ते) कै अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है इसे शास्त्रों में पवित्र और शुभ माना गया है। आमतौर पर त्रिदल (तीन पत्तों वाला) जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। इसे पूजा पद्धति में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन लोग पांच सात और नौ पत्तीयों वाला बेलपत्र ढूंढते हैं जो बेहद दुर्लभ होता है।
Chaitra navratra कंहा मिलता है दुर्लभ बेलपत्र
आदिवासी जिला मंडला यूं तो अनेक वनस्पतियों से भरा हुआ है लेकिन इसके कुछ क्षेत्र में दुर्लभ वनस्पति भी मौजूद हैं धार्मिक ग्रंथों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला बेलपत्र की एक दुर्लभ प्रजाति जिसमें नौ पत्तीयां होती है वो यंहा पर मौजूद हैं। जिले के निवास तहसील में मौजूद कटंगी सिवनी के जंगल में मौजूद नौ पत्तीयों वाला बेल पत्र मौजूद हैं इसकी जानकारी बेहद कम लोगों को है राकेश कुमार ने बताया कि निवास के कुछ लोगों को तीन वर्ष पहले इसकी जानकारी लगी थी तब से हर धार्मिक अनुष्ठान में कुछ लोग नौ पत्तियों वाले बेलपत्र लेने इस स्थान में जाते हैं। हिम्मत लाल का कहना है कि हम सालों से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि इसमें फल आए ताकि इसके फल से बीज निकालकर घर में लगा सके पर पेड़ की खासियत यही है कि इसमें फल नहीं आते हैं इस जंगल में पांच पत्तियों वाला बेलपत्र मौजूद हैं।
नवरात्र में बेलपत्र का महत्व
किसी भी धार्मिक पूजा में बिना बेलपत्र के पूजन संभव नहीं है। स्कंद पुराण के अनुसार, बेल पत्र चढ़ाने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जबकि शिव पुराण के अनुसार, बेल पत्र चढ़ाने से मनुष्य के अंदर के नकारात्मक भाव समाप्त होते हैं। इसके उल्ट वैज्ञानिक महत्त्व है जो कहता है कि बेल पत्र में औषधीय गुण होते हैं, जो वायुशुद्धि और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जिससे वातावरण शुद्ध रहता है। यह भी पढ़ें कांग्रेस क्यों उतरी सड़कों पर


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