मंडला जिले में शीत लहर का प्रभाव कई दिनों से जारी है। इन सर्द हवाओं के कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाल पड़ सकता हैं। स्वास्थ्य विभाग ने शीतलहर से बचाव के लिए एडवायजरी जारी कर बचाव के लिए सुझाव दिए हैं। आमतौर पर शीत लहर का प्रभाव दिसंबर और जनवरी के महीनों में होता है। कभी-कभी शीत लहर का प्रभाव नवंबर से फरवरी तक दिखाई देती है।
जानलेवा शीतलहर के प्रभाव से कैसे बचें
जानलेवा शीतलहर से नकारात्मक प्रभाव गर्भवती महिलाओं, वृद्धजनों एवं 5 वर्ष के छोटे बच्चों पर अधिक होता है। इसके अतिरिक्त दिव्यांगजनों, बेघर व्यक्तियों, दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीतलहर के दौरान विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है।
शीतलहर के प्रभाव से बचने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ कैसी सरोंते ने सलाह दी है कि बुखार से ग्रस्त व्यक्ति को तुरंत गर्म कपड़े पहनाएं एवं गर्म स्थान पर रखें। शारीरिक तापमान को बनाए रखने के लिए कंबल, टॉवेल, शीट आदि की कई परते से शरीर को ढंकें। गरम पेय पदार्थ देकर शारीरिक तापमान को बढायें। लक्षणों के बढ़ने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह लें। लंबे समय तक ठंड में रहने से बचें।
आमतौर पर लोगों में धारणा बनी है कि ठंड में शराब का सेवन करने से ठंड से बचाव होता है जबकि शीतलहर में मदिरापान से बचना चाहिए क्योंकि इससे शारीरिक तापमान घटता हैं एवं हथेलियों की रक्त धमनियों में संकुचन होने से अल्पताप की अधिक संभावना होती है। फॉस्टवाईट के लक्षण वाले अंगों को न मले, इससे अधिक क्षति हो सकती है। शारीरिक तापमान के घटने का प्रथम लक्षण प्रायः कपकपी होती है। इसको अनदेखी न करते हुए घर के अंदर रहें। अल्पताप से पीड़ित बेहोश व्यक्ति को तरल पदार्थ तब तक न पिलाएं जब तक वह पूरे होश न हो
शीतघात (शीत लहर) में जन सामान्य को सलाह पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े पहनें जैसे दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जूते आदि पहनें। शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अति आवश्यक हो तो ही बाहर यात्रा करें। नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहें। आवश्यकतानुसार अगींठी या अलाव जलाकर गर्म ताप लेंवें। शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
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