50 लाख का सरोवर बहा ,आरईएस विभाग बना रहा था

मनरेगा योजना से बन रहा अमृत सरोवर पहली बारिश को झेल नहीं सका रविवार रात को सरोवर का एक हिस्सा पानी में बह गया है जिसके बाद मंडला जिले में पानी रोकने के लिए चल रहे अभियान की कलई खुल गई है मौके की तस्वीरें बता रही हैं सरोवर के बीचों बीच से पानी निकला है सरोवर की लागत तकरीबन 50 के आसपास थी।

छोटा बांध भी नहीं बना सकता है आरईएस

पूरा मामला मंडला जिले के निवास ब्लॉक का है यहां के सुखरी में बन रहा 50 लाख का अमृत सरोवर आखिरकार भृष्टाचार की भेंट चढ़ गया है टूटा हुआ भाग यह बता रहा हे कि सरोवर को कितनी ईमानदारी से बनाया जा रहा था कम लागत में अधिक बनाने की कला ने ही सरोवर से अमृत पहले ही निकाल लिया था यह तो पहले से तय था कि या तो सरोवर बहेगा या नीचे से पानी रिसेगा

गांव के लोगों ने बताया कि ज़हां से सरोवर की दिवार बनाई जा रही है वहां से पेंतीस से चालीस एकड़ से एकत्रित पानी तीन नालों से निकलता है ऐसे में काम की गुणवत्ता में जरा सी लापरवाही की गुंजाइश यंहा पर नहीं थी मशीनों के जरिए मिट्टी मुरूम को एक स्थान से खोदकर पल्टा दिया गया था काली मिट्टी की टीचिंग न के बराबर की गई थी यही वजह है कि दो दिन में 55 से 60 मिलीमीटर बारिश के बाद रूके हुए पानी के दवाब को सरोवर की दिवार सह नहीं सकी और बांध के बीचों बीच से दिवार बह गई है।

50 लाख का सरोवर बहा ,आरईएस विभाग बना रहा था

सरोवर के दीवार बीच दरार आने के बाद ही देर रात एक बजे आरईएस विभाग में हड़कंप मच गया था जिले के आला अधिकारी सहित पूरा विभाग अपने कारनामों को छिपाने के लिए पूरी रात जुटा रहा लेकिन बांध को बचा नहीं सके सुबह से यहां पर जिले की टीम आ पहुंची थी वहीं ग्रामीण भी देखने पहुंच गए थे बीते सालों में आरईएस विभाग ने जिला के कोने कोने में मनरेगा के तहत जो ठेकेदारी करवाई है

वह बात किसी से छिपी नहीं है चौदह फीसदी कमीशन दो और जिले के किसी भी जगह काम लो अगर कहीं कुछ हो जाए तो साफ कह दिया जाता है कि सप्लाई कराई जा रही है काम विभाग कर रहा है इस मामले में विभाग के साइड इंजीनियर का कहना है कि बहुत अधिक बारिश के बाद पानी ओवरफ्लो हो कर बह रहा था देर रात तक स्थिति को संभाला गया है अब अतिरिक्त पानी को निकालने के लिए वेस्टवियर ठीक किया जा रहा है।

50 लाख का सरोवर बहा ,आरईएस विभाग बना रहा था

वेस्टवियर सही नहीं बनने से बहा सरोबर

विभाग के सूत्रों की मानें तो वेस्टवियर जिससे एकत्रित हो रहे अतिरिक्त पानी निकल जाता है उसे ही ग़लत तरीके से बनाया गया था जबकि कुछ लोगों का कहना है कि वेस्टवियर निर्माण के लिए जगह ही नहीं छोड़ी गई थी अगर अतिरिक्त पानी निकासी के लिए जगह बना ली जाती भले ही वह पक्का नहीं बनता तब भी पानी निकल जाता अब सरोवर बहने के बाद देर रात से वेस्टवियर के लिए जगह बनाई जा रही है जाहिर है बरसात शुरू है दिवार बनाई नहीं जा सकती है इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में सरोवर को और नुकसान होने वाला है।

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