पलायन का दंश काम कराने के बाद नहीं दिया गया मजदूरी

काम की तलाश में भटकते आदिवासीयों का शोषण कम नहीं हो रहा है मनरेगा जेसी योजना जो गरीबों की मददगार होती थी वो विभागों के लिए पैसा उगाने की योजना बन चुकी है जिसका परिणाम ही पलायन बन कर उभरा है काम की तलाश में जिले से बाहर काम ढूंढते मजदूरों की खबरें तो सुर्खियां बनती ही रही है लेकिन कभी इन्हें इससे मुक्ति नहीं मिली है ऐसा ही एक मामला जिले में एक बार फिर सामने आया है यहां के मजदूरों को दो माह तक जबरन काम कराया गया और मजदूरी तक नहीं दी गई जिले के निवास थाने में तीन गांव के चौबीस मजदूरों ने काम पर ले जाने वाले व्यक्ति और खेत मालिक के खिलाफ मामला दर्ज कराया है
जिले के निवास थाना क्षेत्र के तीन गांव मुरलापानी पडरिया और छपरा से चौबीस मजदूरों को एक दलाल ने चार सौ रूपये दिन के हिसाब से मजदूरी देने के एवज में बालाघाट के पास का पता बताकर कर्नाटक ले गया था ग्रामीण गिरजा सिंह भवेदी ने बताया कि महराजपुर मंडला का एक व्यक्ति उनसे संपर्क किया था उसके साथ चौबीस लोग बालाघाट तक गए थे वहां पहुंचने के बाद कहा गया कि यहां पर काम नहीं बचा है कर्नाटक जाना पड़ेगा वहा सोयाबीन की फसल काटनी है कर्नाटक के आलंद जिला के सिंगरौली थाना क्षेत्र के अन्नया सापरै गांव में खेत मालिक ने हमें काम दिया लेकिन वहां पर हमसे गन्ने और प्याज के अलावा भी दूसरे किस्म की खेती में हमसे मजदूरी का काम कराने लगे, करीब दो माह बीतने के बाद जब मजदूरी की मांग की गई तो खेत मालिक आनाकानी करने लगा मजदूर वहां से वापस होने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था जैसे तैसे मंडला जिले के निवास थाने में सूचना दी गई जिसके बाद सिंगरौली थाना में संपर्क कर मजदूरों को वहा से निकलवाया गया निवास थाना प्रभारी ने बताया कि कर्नाटक से वापिस लोटे मजदूरों ने शिकायत किया है कि उन्हें मजदूरी नहीं मिली है मामले की जांच कर कार्रवाई की जा रही है।

पलायन का दंश काम कराने के बाद नहीं दिया गया मजदूरी
थाने में मौजूद मजदूर

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