मंडला में धड़ल्ले से घूम रही हूटर लगी कारें नियमों का उड़ रहा माखौल

मंडला में इन दिनों हूटर लगी महंगी कारों को दौड़ाने का फैशन चरम पर है जिसे देखो वही कार में हूटर लगाकर कार को दौड़ाएं पड़े हैं चाहे वो नेता हो या फिर अधिकारी कोई भी वीआइपी कल्चर से पीछे नहीं रहना चाहता है।

क्या कारों में हूटर लगाने की अनुमति है

सरकार ने लाल बत्ती को खत्म किया तो जिम्मेदारों ने उसका विकल्प तलाशा हूटर के रूप में, सही भी है इतने मेहनत लगी है तो भला अपने आप को विशिष्ट क्यों न दिखाएं। मंडला में अहम पदों पर बैठे जनप्रतिनिधि धड़ल्ले से हूटर वाली निजी गाड़ी लेकर घूम रहे हैं। ख़ास बात यह है कि इन सब में शासकीय अधिकारी भी पीछे नहीं है।पर बड़ा सवाल है कि क्या कारों में हूटर लगाने की अनुमति है।

लगातार मोटर व्हीकल एक्ट उल्लंघन के मामले आने के बाद मप्र पुलिस विभाग ने 1 मार्च से 15 मार्च तक विशेष अभियान चलाने का फैसला कर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय में इस तरह के वाहनों को पकड़ कर चालानी कार्रवाई करने के आदेश जारी किये थे जिनमें हूटर ,प्लेस लाइट, वीआइपी के स्टीकर लगें हों।

केंद्र सरकार ने वीआइपी कल्चर को खत्म करने के उद्देश्य से केंद्रीय मोटरयान नियम में बदलाव किया गया था जिसके बाद मंत्री अफसर जनप्रतिनिधियों के वाहनों पर हूटर नहीं लग सकता है। अगर कोई पकड़ा जाता है तो केंद्रीय मोटरयान नियम 1989 केतहत 5000 हजार रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।

सायरन कौन लगा सकता है

केंद्रीय मोटर वाहन नियम,1989 का नियम 119(3) के तहत  एंबुलेंस, फायर बिग्रेड, आपातकालीन सेवा में चलने वाली गाड़ी और परिवहन विभाग के अफसरों की गाडिय़ां शामिल हैं।

बडी पुरानी कहावत है नियम कमजोर के लिए बनते हैं। और जमीनी हकीकत यही है। वरना धड़ल्ले से जिले में ये चमचमाती कारें न दौड़ती। पूरे मामले में मंडला पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा ने कहा है कि पूर्व में भी चुनाव के समय अपात्र वाहनों पर चलानी कार्रवाई की गई है।

अभी 15 दिवस का विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है जिसके लिए सभी थानों को निर्देशित किया गया है। जनप्रतिनिधियों की गाड़ियों को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि विशेष गाड़ीयों जिसमें एंबुलेंस और कुछ अन्य वाहन आते हैं उनको छोड़कर सभी पर नियम लागू होते हैं।

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