देश के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में शुमार कान्हा नेशनल पार्क एक बार फिर बाघों की लगातार हो रही मौतों को लेकर चर्चा में है। वर्ष 2025 के महज चार महीनों में अब तक पांच बाघों की मौत हो चुकी है। जो टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के लिए चिंता का विषय है।
शुक्रवार को कान्हा नेशनल पार्क में एक और मादा बाघ का शव मिला कान्हा पार्क प्रबंधन के अनुसार वन परिक्षेत्र किसली के जामुनटोला बीट में मिले बाघ के शरीर में कोई चोट के निशान नहीं थे सभी अंग सुरक्षित मिले हैं। जांच टीम के व्दारा स्थल में सघन जांच की गई। पार्क में 2025 के अप्रैल माह तक पांच बाघों की मौत हो चुकी है। सिर्फ अप्रैल माह में ही दो बाघों के शव मिले हैं बीते पांच अप्रैल को भी एक मादा बाघ का शव मिला था।
कान्हा नेशनल पार्क में खर्च करोड़ों फिर भी नहीं रुक रही बाघों की मौत
हाल ही में मध्यप्रदेश विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि केंद्र, राज्य और पर्यटन से प्राप्त राशी से कान्हा वफर जोन में विभिन्न कार्य कराए जाते हैं कैंम्पा मद, वन्यजीव पर्यावास, अधोसंरचना, विकास निधि,संयुक्त वन प्रबंधन के तहत राशी प्राप्त होती है वर्षवार आंकड़ों के अनुसार,
योजना का नाम | वर्ष 2022-23 | वर्ष 2023-24 | वर्ष 2024-25 |
कैम्पा मद | 41563905 | 109843493 | 139777993 |
3730-वन्यजीव पर्यावास का समन्वित विकास | 104319720 | 119390610 | 95238000 |
4342-वन अधोसंरचना का सुदृढीकरण | 0 | 3206000 | 8370000 |
विकास निधि मद | 131139815 | 162080126 | 148273335 |
7680-संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को लाभांश का प्रदाय | 0 | 0 | 5770000 |
कुल योग | 277023440 | 394520229 | 397429328 |
कान्हा नेशनल पार्क के प्रबंधन और संरक्षण पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। इसमें निगरानी, मेडिकल सुविधाएं, वन्यजीव सुरक्षा गश्त, पर्यटन व्यवस्थाएं, और कर्मचारियों का वेतन शामिल है। इसके बावजूद बाघों की लगातार हो रही मौतों ने इस खर्च और व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हर बार ‘स्वाभाविक मौत’ का दावा, मगर भरोसा नहीं
हर बार की तरह इस बार भी वन विभाग की ओर से जारी प्रेस नोट में मौत को ‘स्वाभाविक’ बताया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देकर विभाग यह कहने की कोशिश करता है कि बाघों की मृत्यु सामान्य कारणों से हो रही है — जैसे वृद्धावस्था, आपसी संघर्ष या संक्रमण पिछली मौतों की तरह इस बार भी प्रबधन यह बताने की कोशिश किया कि यह एक सामान्य मौत है। लगातार हो रही मौत सामान्य कैसे मानी जा सकती हैं। हर मौत पर पोस्ट मार्टम तो कराया जाता है मगर उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कभी नहीं होती है जिसके कारण प्रबंधन सवालों के घेरे में है।
टाइगर स्टेट की साख पर सवाल
मध्यप्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ कहा जाता है क्योंकि यहां देश में सबसे अधिक संख्या में बाघ पाए जाते हैं। वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 785 बाघ थे। लेकिन जिस प्रकार से बीते दो वर्ष में इनकी मौतें हो रही हैं, वह प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। टाइगर स्टेट का तमगा सिर पर होने के बावजूद यदि बाघों की रक्षा नहीं की जा सकी, तो यह केवल एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा।
संभावित कारण: सिर्फ प्राकृतिक नहीं?
विशेषज्ञों के अनुसार, बाघों की मौत के कई संभावित कारण हो सकते हैं:
पार्क के भीतर मानवीय गतिविधियों में बढ़ोतरी
अवैध शिकार या जहर देकर हत्या
जलवायु परिवर्तन और जल स्रोतों की कमी
आपसी संघर्ष, परंतु अक्सर ये टकराव क्षेत्र की खराब निगरानी से होते हैं
समय पर चिकित्सा सहायता की अनुपलब्धता
क्या जरूरी है?
स्वतंत्र जांच: हर मौत के पीछे केवल विभाग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट न मानकर स्वतंत्र विशेषज्ञों की जांच हो।
ट्रैकिंग और निगरानी बढ़ाना: बाघों के मूवमेंट पर GPS ट्रैकिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग
कान्हा नेशनल पार्क केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि भारत की जैव विविधता की अमूल्य धरोहर है। बाघों की लगातार हो रही मौतें केवल आंकड़े नहीं, बल्कि एक गहरी चेतावनी हैं। यदि अब भी सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में न तो कान्हा की गरिमा बचेगी और न ही ‘टाइगर स्टेट’ का खिताब
Aditya Kinkar Pandey is a Since completing his formal education in journalism in 2008, he has built for delivering in-depth and accurate news coverage. With a passion for uncovering the truth, Aditya has become bring clarity and insight to complex stories. work continues to investigative journalism.