गांवों की जीडीपी बढ़ाने वाला करिश्माई पेड़

गांवों की जीडीपी बढ़ाने वाला करिश्माई पेड़गांवों की जीडीपी बढ़ाने वाला करिश्माई पेड़

गांवों में रहने वाले लोगों की आय अक्सर प्रकृति पर निर्भर रहती हैं, इसी निभर्ता को पूरा करता है महुआ यह न केवल गांवों के लोगों के आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, इसे एक “करिश्माई पेड़” कहा जा सकता है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक अहम योगदान देता है।

कब से शुरू होता है महुआ बीनने का कार्य

मध्य मार्च से जैसे जैसे तापमान बढ़ना शुरू होता है महुआ फूल गिरना शुरू होता है और यह फूल गांवों में एक बड़े आय स्रोत के रूप में कार्य करता है। विशेष रूप से मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों में महुआ एकत्र करने का कार्य व्यापक रूप से देखा जाता है। मार्च से लेकर अप्रैल के अंत तक, गांवों में महुआ बीनने का काम दिन-रात चलता है।

ग्रामीण सुबह पांच बजे से लेकर देर रात तक बारी-बारी से महुआ पेड़ के नीचे पहुंचकर इसे एकत्रित करते हैं।हालांकि महुआ बीनने का कार्य देखने में साधारण लग सकता है, लेकिन वास्तविकता में यह एक कठिन और श्रमसाध्य कार्य है, जिसके चलते अन्य कार्य भी प्रभावित होते हैं।

गांवों की जीडीपी बढ़ाने वाला करिश्माई पेड़गांवों की जीडीपी बढ़ाने वाला करिश्माई पेड़

करिश्माई पेड़ और जीडीपी

आदिवासी जिला मंडला में होली त्यौहार निकलते ही लोग महुआ बीनने में लगे गए हैं। हर गांव में एकत्रित करने का कार्य शुरू हो गया है। गांवो की जीडीपी में इसकी व्यापकता इस बात से समझी जा सकती हैं कि एक छोटे ब्लॉक निवास में, हर साल कम से कम चालीस से पचास टन महुआ एकत्र किया जाता है।

कुछ गांवों में तो प्रत्येक घर में चार से पांच क्विंटल तक महुआ बीन कर एकत्रित किया जाता है। फागू लाल कहते हैं कि महुआ को बीनने के बाद इसे सुखाया जाता है और वर्षा ऋतु में बैच करके यह चार माह तक परिवार की दैनिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है।

यह भी पढ़ें – लजीज महुआ के लड्डू

महुआ बीनने में लगी शिवकली कहती हैं कि दिन रात हम लोग इसे इकट्ठा करने में लगा देते हैं लेकिन हमें सही दाम कभी नहीं मिलता है। कभी पता भी नहीं चलता है कि सही दाम क्या है जिसकी जो मर्जी हुई वैसे खरीददारी करता है। दूसरी महिला आशा कहती हैं कि सरकार को खरीदना चाहिए ताकि सही दाम मिल सके अभी तो हमारी मजबूरी का फायदा उठाया जाता है।

महुआ दो तरह से संग्रहित किया जाता है वन क्षेत्र में वन समितियां एकत्रित करती है जबकि राजस्व क्षेत्र में निजी भूमि स्वामी, जबकि शासकीय भूमि पर लगे पेड़ पर आपसी सहमति के व्दारा पिछले वर्ष से महुआ को खरीदने के नियम भी बदल चुके हैं। अब इसे खरीदने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता हो गई है, जबकि पहले यह किसी भी व्यक्ति द्वारा खरीदी जा सकती थी।

गांवों की जीडीपी बढ़ाने वाला करिश्माई पेड़गांवों की जीडीपी बढ़ाने वाला करिश्माई पेड़

मंडला बैगा एनकाउंटर