रिक्शा में पार्थिव शरीर

योजनाऐं बनी मजाक ,कभी वाहन लाने को नही तो कभी ले जाने को नहीं

परिजनों के लिए रिक्शा बना आसरा

मंडला / एक तरफ सरकार स्वास्थ सुविधाओं को लेकर के बड़े-बड़े दावे कर रही है.तो दूसरी तरफ जमीनी हकीकत जुदा है स्वास्थ व्यवस्थाएं लचर पड़ी हुई है. बेहतर इलाज की उम्मीद लिए अस्पतालों की चौखट पर पहुंचते मरीजों को निराशा ही हाथ लग रही है. कुछ ऐसी ही तस्वीरें मंडला जिला अस्पातल से सामने आई हैं.जिन्हें देख लोगों की आँख नम हो गई.दरअसल राष्टीय मानव कहे जाने वाले बैगा समाज के सुखीराम भारतीय उम्र 20 वर्ष को इलाज के लिए परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती करवाया था.जो नैनपुर स्वामी सीताराम वार्ड क्रमांक 11 का रहने वाले है. बताया जा रहा है की जब परिजन सुखीराम को लेकर अस्पताल पहुंचे थे इलाज के दौरान संतोष पिता सुखीराम भारतीय उम्र 20 वर्ष की मौत हो गई. जवान बेटे की मौत पर रोने की जगह पिता शव वाहन का इंतजाम में लगा रहा है उसके पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा न था

बद किस्मती कहे या लापरवाही मौत के बाद घर ले जाने जब शव वाहन नहीं मिला तो बूढ़े पिता ने बेटे के पार्थिव शरीर को गोद में उठा रिक्से में रख कर जाने को मजबूर हो गया .
पार्थिव शरीर रिक्शे में घर ले जाते जेसे ही फ़ोटो विडीयो सोशल मीडिया पर वायरल हुई.मंडला कलेक्टर हर्षिका सिंह ने फौरन ही मामले को गंभीरता पूर्वाक लेते हुये.जाँच के आदेश जारी कर दिए.
और आदेश के बाद ही सिविल सर्जन मंडला के द्वारा सभी को नोटिस थमाये जा रहे है. और पुरे घटना क्रम की जानकारी ली जा रही है.अगर सोसल मीडिया में वायरल न होता तब किसे अपने कर्तव्यों की चिंता रहती

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