दस साल में चार लाख का किराया,भवन के लाखों रूपए चोरी
हम आपको एक ऐसे स्कूल से रूबरू कराते हैं जो किराए पर संचालित हो रहा है जबकि कागजों में शासकीय है एक तरफ इंडिया के बच्चो को बडे आलीशान भवन में शानदार सु्विधाओं के साथ शिक्षा मिल रही है दूसरी तरफ भारत के एक छोर में स्थित गांव के बच्चों को शिक्षा किराए का कमरा और किराए के आंगन में बामुश्किल मिल पा रही है दर्जनों योजनाओं के तहत करोडो रूपये अनाप शनाप बहा दिए जा रहे है पर बच्चो के लिए एक कमरा भी नसीब न हो सका
मंडला / स्वर्णीम मध्यप्रदेश में हाल में ही गौरव दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा था विकास के बड़े बड़े दावे भी हुए पर जमीनी हकीकत थोड़ी से जुदा है हम आपको एक ऐसे स्कूल से रूबरू कराते हैं जो किराए पर संचालित हो रहा है जबकि कागजों में शासकीय है मामला जिले के निवास तहसील में पद्दीकोना का है यहां पर एक शासकीय स्कूल दस साल से किराए पर चल रहा है कारण भृष्टाचार ने शासकीय भवन को जमीन से गायब कर दिया एक दशक पहले सरकार ने बड़े कस्बों के लिए मुहल्लों में शिक्षा गारंटी योजना के तहत कक्षा एक से तीन के बच्चों के लिए स्कूल खोलने का प्रावधान किया था इस गांव के एक मुहल्ले में भी 2012 में स्कूल खुला भवन के लिए लाखों की राशि स्वीकृत हुई पंचायत तक पहुंचने के बाद यह राशि कहा चली गई कोई नहीं जानता , जब तक लोगों को जानकारी लगती पैसा डकारा जा चुका था यंहा ऐसा एक नहीं बल्कि तीन भवनों के साथ यही हुआ भवन कागज में बने और कागज के महल में संचालित होते रहे पूरे मामले में एक सचिव को निलंबित किया गया जो अब इस दुनिया में नहीं है जबकि दो और भवनों की राशी चोरी कराने वाला दूसरा सचिव दिलेरी से एक नहीं दो पंचायत की कमान संभाल रहा है अब किसने और केसे मेहरबानी की यह भी कोई नहीं जानता मेहरबान अधिकारी भी खुश पैसा डकारने वाले भी खुश और बच्चे इस खपरेल घर से उस खपरेल घर घूमते रहे
बच्चो के सिर पर पक्का भवन न होने के बाद भी यहां पदस्थ एक शिक्षक स्कूल को संचालित करने एक दो कमरे का खप्पर वाला घर तीन सो से चार सो रूपये माह किराए पर लेकर तीस से अधिक बच्चों को शिक्षा देते आ रहे है इस हिसाब से प्रतिवर्ष चार हजार की राशी किराए के मकान के लिए दी जा रही थी जो कि बीते दस साल में चार लाख से अधिक जा पहुंची है साफ है जितना किराया दिया जा चुका है उतने में एक अच्छा खासा स्कूल भवन बन सकता था बीआरसी सुनिल दुबे कहते हैं स्कूल मरम्मत के लिए जो राशि आती है उसी से जैसे तैसे स्कूल का किराया दे दिया जाता है नये भवन के लिए प्रस्ताव करके शासन को भेजा गया है अब इस स्कूल को शिक्षक ने अपने ही मकान में लगाना शुरू कर दिया हैं अब तक इस स्कूल भवन के लिए कई बार आवेदन दिया जा चुका है पर नतीजा सिफर ही रहा है आगे भविष्य में भी किराए का स्कूल संचालित होते रहेगा शिक्षक कोई भी हो उसे किराया देना ही पड़ेगा क्योंकि भारत को ऐसे ही पढ़ाना है और बढ़ाना है
Aditya Kinkar Pandey is a Since completing his formal education in journalism in 2008, he has built for delivering in-depth and accurate news coverage. With a passion for uncovering the truth, Aditya has become bring clarity and insight to complex stories. work continues to investigative journalism.